क्या मंगल ग्रंह पर संभव है मानव जीवन?

ऐसे में न सिर्फ वैज्ञानिकों बल्कि आम लोगों में भी इस बात को लेकर दिलचस्पी है कि क्या मंगल पर इंसानों की बस्ती बसाई जा सकती है और अगर हां, तो क्या उसे भी हम धरती की तरह अपना घर बना सकेंगे।

क्या मंगल ग्रंह पर संभव है मानव जीवन?

यूरोप के शोधकर्ताओं ने मार्स एक्सप्लोरर के आंकड़ों को अध्ययन करके दावा किया है कि मंगल ग्रह पर 75 हजार वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में नमक की झीलें मौजूद हैं। इससे इस बात की पुष्टि होती है कि अरबों साल पहले मंगल पर समुद्र और झीलें मौजूद रही होंगी और वहा अंटार्कटिक जैसा जीवन रहा हो सकता है।

इससे मंगल पर पानी की मौजूदगी की संभावनाओं को बल मिला है। 

यूरोपीय स्पेस एजेंसी मार्स आर्बिटर स्पेसक्राफ्ट यानी मार्स एक्सप्रेस के आंकड़ों को आधार बनाया गया है। इस स्पेसक्राफ्ट ने 2018 में मंगल पर एक झील होने का दावा किया था।

प्राचीनकाल में मंगल ग्रह पर ऐसे महत्वपूर्ण घटक बहुतायत में थे जिनकी मदद से सूक्ष्म जीव यहां की सतह के नीचे लाखों वर्षों तक जीवित रह सकते थे। धरती पर सतह के नीचे रहने वाले सूक्ष्म जीवों तक सूर्य की रोशनी नहीं पहुंचती है इसलिए वह आस-पास के वातावरण के अणुओं से अति सूक्ष्म परमाणु (इलेक्ट्रॉन) को अलग करके उनसे ऊर्जा प्राप्त करते हैं।

शोधकर्ताओं का अनुमान है कि चार अरब वर्ष पहले सतह पर हाइड्रोजन की मात्रा इतनी अधिक थी जो सूक्ष्म जीवों के जीवित रहने के लिए पर्याप्त थी। उन्होंने कहा कि यहां की परिस्थितियां धरती पर उन स्थानों जैसी ही होंगी जहां पर भूमिगत जीवन है।
यहां तक कि अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा का कहना है कि क्यूरोसिटी रोवर द्वारा मंगल की सतह की चट्टानों से एकत्र किए गए नमूनों के विश्लेषण से संकेत मिले हैं कि पूर्वकाल में मंगल पर सूक्ष्मजीवों का अस्तित्व रहा होगा।

क्यूरोसिटी रोवर ने पिछले माह मंगल पर गेल क्रेटर में बहने वाली पुरानी धारा के पास की एक चट्टान में छेद करके, जो चूर्ण निकाला था, उसमें वैज्ञानिकों ने सल्फर, नाइट्रोजन, हाइड्रोजन, ऑक्सीजन, फास्फोरस और कार्बन की पहचान की है। ये कुछ ऐसे रासायनिक तत्व हैं, जो जीवन के लिए बहुत जरूरी हैं।

मंगल ग्रह पर जीवन के तलाश में हर रोज कुछ न कुछ नया किया जा रहा है। दुनियाभर के वैज्ञानिक इसके लिए शोध कर रहे हैं।

ओहायो यूनिवर्सिटी अमेरिका के कीट विज्ञानी और नाासा से जुड़े डॉ विलियम रोमोसर कई सालों से मंगल ग्रह की ऑनलाइन तस्वीरों का अध्ययन कर रहे हैं। अध्ययन के दौरान डॉ विलियम को कई बार कीड़ों जैसे आकार के उदाहरण मिले हैं। डॉ विलियम रोमोसर के मुताबिक मंगल से मिली तस्वीरों से पता चलता है कि वहां पर ऐसी कई आकृतियां देखने को मिली हैं जो मक्खियों और रेंगने वाले जैसे सांपों की आकृतियों से मिलती-जुलती हैं।

मंगल ग्रह पर जीवन के तलाश को लेकर अध्ययन कर रहे डॉ विलियम ने दावा किया है कि इस ग्रह पर जीवाश्मों की मौजूदगी जीवन के सबूत हैं। उनका दावा है कि मंगल ग्रह पर कई तरह के जीवित कीट-पतंग हो सकते हैं। इनमें से कुछ कीट-पतंगों के पंख भी हैं और ये फड़फड़ाते भी हैं।

डॉ विलियम ने बताया कि मार्स पर भेजे गए रोवर से ली गई कुछ तस्वीरों में मकड़ी, कॉकरोच जैसे कई आर्थोपोड जीवों के संकेत भी मिले हैं। इन आकृतियों का स्वरूप भविष्य में मिलने वाली गहन जानकारी के आधार पर बदल भी सकता है।

ऐसे में न सिर्फ वैज्ञानिकों बल्कि आम लोगों में भी इस बात को लेकर दिलचस्पी है कि क्या मंगल पर इंसानों की बस्ती बसाई जा सकती है और अगर हां, तो क्या उसे भी हम धरती की तरह अपना घर बना सकेंगे।

कैसे मुमकिन होगा मंगल पर जीवन इसके बारे में स्टीफन
हॉकिंग ने Into the Universe डॉक्युमेंटरी में बताया था कि एक दिन शीशों की मदद से मंगल पर गर्मी और ऊर्जा पहुंचाई जा सकेगी। उन्होंने कहा था कि भविष्य में तकनीक की मदद से शीशे और प्लास्टिक की मदद से बड़े-बड़े गुंबद बनाए जा सके जो रेडियेशन को दूर रख सकें तो वायुमंडल को बेहतर किया जा सकेगा। साल 2018 में स्टीफन हॉकिंग का निधन हो गया था।

हालांकि, स्टीफन हॉकिंग का मानना था कि लंबे वक्त तक मंगल को घर नहीं बनाया जा सकेगा। इसके पीछे उन्होंने Dark energy को कारण बताया था

जो ऊर्जा का ऐसा रूप है जो इंसानों के लिए किसी रहस्य से कम नहीं है। यही इनर्जी है जिसने पूरे ब्रह्मांड को बांध रखा है इसकी वजह से ब्रह्मांड का तेजी से विस्तार हो रहा है और इससे एक वक्त ऐसा आएगा कि गुरुत्वाकर्षण का भी असर नहीं होगा।

नासा ने अपना अगला मार्स मिशन Perseverance भेजा है जो Perseverance फरवरी, 2021 में मंगल पर पहुंचेगा और मार्स के जिजेरी क्रेटर (Jezero Crater) पर लैंड करेगा। इसको NASA के Mars Exploration Program के तहत विकसित किया गया। रोवर का ऐस्ट्रोबायॉलजी मिशन पहले मौजूद रही माइक्रोबियल लाइफ के निशान खोजेगा। इसमें 7 अलग-अलग तरह के  साइंटिफिक इंस्ट्रुमेंट्स होंगे। 

इसके साथ ही Perseverance में एक ऐसी डिवाइस लगाई गई है जो वहां ऑक्सिजन पैदा करने की कोशिश करेगी।

इसी बात से आगे पता लगेगा क्या मंगल ग्रह पर इंसान कभी रह सकता है या रह पाएगा ।

खैर यह आने वाला समय ही बता पाएगा ।
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Credits: NASA/JPL

IMAGE SOURCE: NASA/GOOGLE IMAGES/GIFY